आदमी अपने जन्म से नहीं अपने कर्मों से महान होता है। आचार्य चाणक्य
विद्या को चोर भी नहीं चुरा सकता। आचार्य चाणक्य
जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी माँ के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं। आचार्य चाणक्य
सबसे बड़ा गुरु मंत्र, अपने राज किसी को भी मत बताओ। ये तुम्हे खत्म कर देगा। आचार्य चाणक्य
एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए और जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए। चाणक्य
एक राजा की ताकत उसकी शक्तिशाली भुजाओं में होती है। ब्राह्मण की ताकत उसके आध्यात्मिक ज्ञान में और एक औरत की ताक़त उसकी खूबसूरती, यौवन और मधुर वाणी में होती है। आचार्य चाणक्य
आग सिर में स्थापित करने पर भी जलाती है। अर्थात दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लें, वह सदा दुःख ही देता है। चाणक्य
गरीब धन की इच्छा करता है, पशु बोलने योग्य होने की, आदमी स्वर्ग की इच्छा करते हैं और धार्मिक लोग मोक्ष की। आचार्य चाणक्य
जो गुजर गया उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतिंत होना चाहिए। समझदार लोग केवल वर्तमान में ही जीते हैं। आचार्य चाणक्य
संकट में बुद्धि भी काम नहीं आती है। आचार्य चाणक्य
Chanakya Quotes In Hindi
किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है। आचार्य चाणक्य
शत्रुओं से अपने राज्य की पूर्ण रक्षा करें। आचार्य चाणक्य
चोर और राज कर्मचारियों से धन की रक्षा करनी चाहिए। आचार्य चाणक्य
ये मत सोचो की प्यार और लगाव एक ही चीज है। दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं। ये लगाव ही है जो प्यार को खत्म कर देता है। आचार्य चाणक्य
दौलत, दोस्त ,पत्नी और राज्य दोबारा हासिल किये जा सकते हैं, लेकिन ये शरीर दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता। चाणक्य
पृथ्वी सत्य पे टिकी हुई है। ये सत्य की ही ताक़त है, जिससे सूर्य चमकता है और हवा बहती है। वास्तव में सभी चीज़ें सत्य पे टिकी हुई हैं। आचार्य चाणक्य
जैसे एक सूखा पेड़ आग लगने पे पुरे जंगल को जला देता है। उसी प्रकार एक दुष्ट पुत्र पुरे परिवार को खत्म कर देता है। आचार्य चाणक्य
जो हमारे दिल में रहता है, वो दूर होके भी पास है। लेकिन जो हमारे दिल में नहीं रहता, वो पास होके भी दूर है। आचार्य चाणक्य
फूलों की खुशबू हवा की दिशा में ही फैलती है, लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई चारों तरफ फैलती है। आचार्य चाणक्य
जिस आदमी से हमें काम लेना है, उससे हमें वही बात करनी चाहिए जो उसे अच्छी लगे। जैसे एक शिकारी हिरन का शिकार करने से पहले मधुर आवाज़ में गाता है।चाणक्य
वो व्यक्ति जो दूसरों के गुप्त दोषों के बारे में बातें करते हैं, वे अपने आप को बांबी में आवारा घूमने वाले साँपों की तरह बर्बाद कर लेते हैं। आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के विचार
भूख के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है। आचार्य चाणक्य
एक संतुलित मन के बराबर कोई तपस्या नहीं है। संतोष के बराबर कोई खुशी नहीं है। लोभ के जैसी कोई बिमारी नहीं है। दया के जैसा कोई सदाचार नहीं है। आचार्य चाणक्य
एक आदर्श पत्नी वो है जो अपने पति की सुबह माँ की तरह सेवा करे और दिन में एक बहन की तरह प्यार करे और रात में एक वेश्या की तरह खुश करे। आचार्य चाणक्य
विद्या ही निर्धन का धन है। आचार्य चाणक्य
शत्रु के गुण को भी ग्रहण करना चाहिए। आचार्य चाणक्य
किसी लक्ष्य की सिद्धि में कभी शत्रु का साथ ना करें। आचार्य चाणक्य
आलसी का ना वर्तमान होता है, ना भविष्य। आचार्य चाणक्य
सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है। चाणक्य
सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए। आचार्य चाणक्य
समय का ध्यान नहीं रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में निर्विघ्न नहीं रहता। आचार्य चाणक्य
चंचल चित वाले के कार्य कभी समाप्त नहीं होते। आचार्य चाणक्य
भाग्य पुरुषार्थी के पीछे चलता है। आचार्य चाणक्य
अर्थ और धर्म, कर्म का आधार है। आचार्य चाणक्य
कठोर वाणी अग्नि दाह से भी अधिक तीव्र दुःख पहुँचाती है। आचार्य चाणक्य
व्यसनी व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता। आचार्य चाणक्य
शक्तिशाली शत्रु को कमजोर समझकर ही उस पर आक्रमण करें। आचार्य चाणक्य
अपने से अधिक शक्तिशाली और समान बल वाले से शत्रुता ना करें। आचार्य चाणक्य
अविनीत स्वामी के होने से तो स्वामी का ना होना अच्छा है। चाणक्य
जिसकी आत्मा संयमित होती है, वही आत्मविजयी होता है। आचार्य चाणक्य
धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं। आचार्य चाणक्य
आग में आग नहीं डालनी चाहिए। अर्थात क्रोधी व्यक्ति को अधिक क्रोध नहीं दिलाना चाहिए। आचार्य चाणक्य
मनुष्य की वाणी ही विष और अमृत की खान है। आचार्य चाणक्य
दूध के लिए हथिनी पालने की जरुरत नहीं होती अर्थात आवश्कयता के अनुसार साधन जुटाने चाहिए। आचार्य चाणक्य
राज्य का आधार अपनी इन्द्रियों पर विजय पाना है। आचार्य चाणक्य
वृद्ध सेवा अर्थात ज्ञानियों की सेवा से ही ज्ञान प्राप्त होता है। आचार्य चाणक्य
इन्द्रियों पर विजय का आधार विनम्रता है। आचार्य चाणक्य
प्रकृति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है। आचार्य चाणक्य
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